Gold Price: सोना हमेशा से भारतीय परिवारों के लिए सुरक्षा और समृद्धि का प्रतीक रहा है। लेकिन हाल के समय में सोने की कीमतों में तेज वृद्धि ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। आइए जानें कि सोने के दाम क्यों बढ़ रहे हैं और इसका क्या प्रभाव हो सकता है।
वर्तमान स्थिति
इस समय 24 कैरेट सोने का हाजिर भाव 72,550 रुपये प्रति 10 ग्राम या 84,535 रुपये प्रति तोला है। विशेषज्ञों का मानना है कि जल्द ही यह दाम 1 लाख रुपये प्रति तोला तक पहुंच सकता है।
मजबूत रिटर्न
पिछले 8 महीनों में सोने ने 35% का रिटर्न दिया है, जो अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में काफी अधिक है। यह तेजी आने वाले समय में भी जारी रहने की संभावना है।
कीमतों में वृद्धि के कारण
- वैश्विक कर्ज में वृद्धि: कोविड-19 महामारी के बाद, दुनिया भर के देशों ने अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए बड़ी मात्रा में धन मुद्रित किया, जिससे वैश्विक कर्ज बढ़कर लगभग 310 लाख करोड़ डॉलर हो गया।
- केंद्रीय बैंकों द्वारा खरीद: बढ़ते कर्ज और आर्थिक अस्थिरता के कारण, केंद्रीय बैंक सुरक्षित निवेश के रूप में सोना खरीद रहे हैं।
- डी-डॉलरीकरण: अमेरिकी अर्थव्यवस्था की धीमी गति और बढ़ते कर्ज के कारण, कई देश डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए सोने की ओर रुख कर रहे हैं।
- खुदरा निवेशकों की रुचि: न केवल संस्थागत, बल्कि खुदरा निवेशक भी बड़ी मात्रा में सोना खरीद रहे हैं। अमेरिका में Costco जैसी कंपनियां प्रति माह 20 करोड़ डॉलर की सोने की ईंटें बेच रही हैं।
- आपूर्ति की कमी: जहां एक ओर मांग बढ़ रही है, वहीं खनन कंपनियों के पास सोने का भंडार कम हो रहा है।
भविष्य के अनुमान
विश्लेषकों का मानना है कि सोने की कीमत वैश्विक स्तर पर 2700 डॉलर प्रति औंस तक जा सकती है। कुछ अनुमान 3000 डॉलर प्रति औंस तक की बात कर रहे हैं। भारत में, यह 1 लाख रुपये प्रति तोला तक पहुंच सकता है।
प्रभाव और निहितार्थ
- शादी-विवाह का बजट: बढ़ती कीमतों के कारण शादी-विवाह में सोने के आभूषणों पर खर्च बढ़ेगा।
- निवेश विकल्प: सोना एक आकर्षक निवेश विकल्प बन गया है, विशेषकर अस्थिर आर्थिक माहौल में।
- आर्थिक सुरक्षा: बढ़ती कीमतों के कारण, सोना रखने वाले लोगों की संपत्ति का मूल्य बढ़ेगा।
- उद्योग पर प्रभाव: आभूषण उद्योग को मांग में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है।
सोने की कीमतों में यह वृद्धि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। यह न केवल व्यक्तिगत निवेशकों बल्कि सरकारों और केंद्रीय बैंकों के लिए भी चिंता का विषय है। आने वाले समय में इन कीमतों पर नजर रखना और समझदारी से निवेश निर्णय लेना महत्वपूर्ण होगा।
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