Ops Pension Scheme: पुरानी पेंशन योजना (ओल्ड पेंशन स्कीम) एक ऐसी योजना है जिसके तहत सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद उनके अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता है। इस योजना कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम करती है, जो उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
योजना का इतिहास
हिमाचल प्रदेश में पहले यह योजना लागू थी, लेकिन 2003 में इसे बंद कर दिया गया था। इसके बाद कर्मचारियों ने लगातार इसे फिर से शुरू करने की मांग की। 2022 में इस दिशा में कदम उठाए गए और 2023 में सुक्खू सरकार ने अपने चुनावी वादे के अनुसार इस योजना को फिर से लागू करने का फैसला लिया।
नए नियम क्या हैं?
अब हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना के नियमों में कुछ बदलाव किए गए हैं:
1. पहले 10 साल की सेवा अवधि पूरी करने वाले कर्मचारियों को ही इस योजना का लाभ मिलता था।
2. अब कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने की अवधि को भी गिना जाएगा। यानी, अगर किसी कर्मचारी ने कुछ साल कॉन्ट्रैक्ट पर और फिर नियमित नौकरी की है, तो दोनों को मिलाकर 10 साल होने पर वह इस योजना का लाभ पा सकेगा।
किसे मिलेगा लाभ?
इस नई व्यवस्था से लगभग 1 लाख 30 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा होने की उम्मीद है। इसमें वे कर्मचारी भी शामिल हैं जो पहले इस लाभ से वंचित थे क्योंकि उनकी सेवा अवधि 10 साल से कम थी।
कर्मचारियों को क्या करना होगा?
योजना का लाभ लेने के लिए कर्मचारियों को कुछ कदम उठाने होंगे:
1. रिटायर्ड कर्मचारियों को अपने विभाग के प्रमुख के माध्यम से एक महीने के भीतर अपना विकल्प बताना होगा।
2. समय पर प्रक्रिया पूरी करने वाले कर्मचारियों को सरकार की लाभार्थी सूची में शामिल किया जाएगा।
योजना का महत्व
यह योजना सरकारी कर्मचारियों के लिए अत्यंत लाभदायक है, क्योंकि:
1. यह उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद नियमित आय सुनिश्चित करती है।
2. महंगाई और अन्य आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है।
3. कर्मचारियों को बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है।
हिमाचल प्रदेश सरकार का यह फैसला राज्य के कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है। इससे न केवल वर्तमान कर्मचारियों को लाभ मिलेगा, बल्कि वे लोग भी फायदा उठा सकेंगे जो पहले इस योजना से बाहर थे। यह कदम कर्मचारियों के कल्याण और उनके परिवारों की आर्थिक सुरक्षा की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। हालांकि, इस योजना को लागू करने में राज्य सरकार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जैसे वित्तीय बोझ और प्रशासनिक व्यवस्था। फिर भी, यह निर्णय कर्मचारियों के हित में एक स्वागत योग्य कदम है।
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