Supreme Court: प्रॉपर्टी की बढ़ती कीमतों के साथ, उनके स्वामित्व और कब्जे से जुड़े मुद्दे भी सामने आ रहे हैं। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जो प्रॉपर्टी के मालिकों और किराएदारों दोनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर कोई व्यक्ति 12 साल तक लगातार किसी प्रॉपर्टी पर कब्जा रखता है, और इस दौरान प्रॉपर्टी का असली मालिक कोई आपत्ति नहीं जताता, तो कब्जा रखने वाला व्यक्ति उस प्रॉपर्टी का कानूनी मालिक बन सकता है। यह नियम ‘प्रतिकूल कब्जा’ या ‘adverse possession’ के नाम से जाना जाता है।
किराएदारों के अधिकार
इस फैसले के अनुसार, अगर कोई किराएदार 12 साल तक लगातार किसी प्रॉपर्टी में रहता है, और इस दौरान मालिक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करता, तो किराएदार उस प्रॉपर्टी पर अपना अधिकार जता सकता है। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें पूरी होनी चाहिए:
1. किराएदार का कब्जा लगातार 12 साल तक बना रहना चाहिए।
2. इस दौरान मालिक ने कोई आपत्ति या कानूनी कार्रवाई नहीं की हो।
3. किराएदार के पास रहने का पुख्ता सबूत होना चाहिए, जैसे किराया रसीदें, बिजली बिल आदि।
मालिकों के लिए सावधानियां
प्रॉपर्टी के मालिकों को इस स्थिति से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए:
1. किराए का अनुबंध 11 महीने का ही बनाएं और नियमित रूप से नवीनीकरण करें।
2. प्रॉपर्टी की नियमित जांच करें और अपने अधिकार का प्रदर्शन करते रहें।
3. किराएदार से नियमित संपर्क बनाए रखें और किराया रसीदें जारी करते रहें।
सरकारी बनाम निजी प्रॉपर्टी
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह नियम केवल निजी प्रॉपर्टी पर लागू होता है। सरकारी जमीन के मामले में, कब्जे का समय 30 साल है।
कानूनी प्रक्रिया
अगर कोई व्यक्ति प्रतिकूल कब्जे के आधार पर प्रॉपर्टी पर दावा करना चाहता है, तो उसे 12 साल के भीतर कानूनी कार्रवाई शुरू करनी होगी। इसी तरह, अगर कोई मालिक अपनी प्रॉपर्टी वापस लेना चाहता है, तो उसे भी 12 साल के भीतर कार्रवाई करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला प्रॉपर्टी के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह फैसला प्रॉपर्टी के मालिकों को अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए सतर्क रहने की याद दिलाता है, जबकि लंबे समय से कब्जा रखने वालों को भी कुछ अधिकार देता है। हालांकि, यह एक जटिल कानूनी मुद्दा है और किसी भी दावे या विवाद में कानूनी सलाह लेना अत्यंत आवश्यक है।
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