Ayushman Card News: हरियाणा के निजी अस्पतालों ने एक जुलाई से आयुष्मान कार्ड पर मुफ्त इलाज करना बंद कर दिया है। यह निर्णय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा लिया गया है। इसका मुख्य कारण सरकार द्वारा आयुष्मान कार्ड पर किए गए इलाज का बकाया भुगतान न करना है।
सरकार और अस्पतालों के बीच विवाद
निजी अस्पताल संचालकों का आरोप है कि सरकार 6-6 महीने तक उनका बकाया भुगतान नहीं करती। इसके अलावा, इलाज खर्च की पूर्व-स्वीकृति के बावजूद कटौती की जाती है और कई बार बिल अस्वीकृत कर दिए जाते हैं। आईएमए ने सरकार को पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया तो वे आयुष्मान कार्ड पर इलाज बंद कर देंगे।
बकाया राशि का आंकड़ा
हरियाणा में 432 निजी अस्पताल आयुष्मान कार्डधारकों का इलाज करने के लिए पंजीकृत हैं। इन अस्पतालों में प्रतिदिन औसतन 45,000 मरीजों का इलाज होता है। सरकार की तरफ से इन निजी अस्पतालों के करीब 200 करोड़ रुपये बकाया हैं। करनाल और रोहतक जिलों के निजी अस्पतालों का सरकार पर भारी बकाया है। करनाल में लगभग 50 निजी अस्पतालों का 18 करोड़ रुपये, जबकि रोहतक के निजी अस्पतालों का 22 करोड़ रुपये सरकार को चुकाना है। यह बकाया राशि आयुष्मान कार्ड के तहत किए गए इलाज के लिए है, सरकार ने इस राशि का भुगतान अब तक नहीं किया है।
गरीब मरीजों पर प्रभाव
आयुष्मान योजना के तहत, पंजीकृत अस्पतालों में 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज कराया जा सकता था। निजी अस्पतालों द्वारा इस सेवा को बंद करने से गरीब लोगों को काफी परेशानी होगी। यह फैसला उन लोगों के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है, जो गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं और जिन्हें तत्काल इलाज की आवश्यकता है।
मरीजों के लिए क्या करें?
यदि कोई अस्पताल आयुष्मान कार्ड पर इलाज से इनकार करता है, तो मरीज निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं:
1. आयुष्मान भारत योजना ने एक राष्ट्रीय स्तर का टोल फ्री नंबर 14555 जारी किया है। इस नंबर पर कॉल करके मरीज अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। यह सुविधा पूरे देश में उपलब्ध है और मरीजों को तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए 24 घंटे कार्यरत रहती है।
2. https://cgrms.pmjay.gov.in/GRMS/loginnew.htm पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
हरियाणा में आयुष्मान कार्ड पर इलाज बंद होने से गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच में बड़ी बाधा उत्पन्न हो गई है। यह स्थिति सरकार और निजी अस्पतालों के बीच तत्काल समाधान की मांग करती है। जब तक यह मुद्दा हल नहीं होता, तब तक मरीजों को सरकारी अस्पतालों या अन्य विकल्पों पर निर्भर रहना पड़ेगा। आशा है कि जल्द ही इस समस्या का समाधान निकाला जाएगा ताकि गरीब लोगों को फिर से गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।
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