Gold-Silver Rate: सोने और चांदी के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है। आने वाले दिनों में इन कीमती धातुओं की कीमतों में गिरावट आ सकती है। इसका कारण है सरकार द्वारा आगामी बजट में इंपोर्ट ड्यूटी में संभावित कटौती। आइए इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा करें।
इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती की संभावना
सूत्रों के अनुसार, सरकार सोने और चांदी पर इंपोर्ट ड्यूटी में 5% की कटौती कर सकती है। वर्तमान में यह दर 15% है, जिसे घटाकर 10% किया जा सकता है। यह कदम न केवल कीमतों को कम करेगा बल्कि सोने की तस्करी पर भी रोक लगाएगा।
कीमतों पर प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से सोने की कीमत में लगभग 3000 रुपये और चांदी में 3800 रुपये तक की कमी आ सकती है। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि कीमतों में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आएगी।
जीएसटी में संभावित बदलाव
इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि पुराने सोने के जेवरात को बेचते समय ग्राहकों को जीएसटी में कुछ रियायत दी जा सकती है। यह कदम सोने के आयात को कम करने और सरकारी खजाने पर दबाव कम करने में मदद कर सकता है।
विशेषज्ञों की राय
इंडियन बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव सुरेंद्र मेहता का मानना है कि इंपोर्ट ड्यूटी में कमी से सोना और चांदी सस्ते होंगे। वहीं, कुछ अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार जीएसटी को 18% कर दे और कस्टम ड्यूटी शून्य कर दे, तो सोने की तस्करी रुक सकती है।
भारत में सोने का महत्व
भारत में सोने का विशेष महत्व है। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोने का उपभोक्ता है। हर साल बड़ी मात्रा में सोने का आयात किया जाता है। इसलिए सोने की कीमतों में किसी भी बदलाव का देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ता है।
यदि सरकार वाकई में इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती करती है, तो यह कदम कई तरह से फायदेमंद हो सकता है। इससे न केवल आम लोगों को सस्ते दरों पर सोना और चांदी मिलेगा, बल्कि सोने की तस्करी पर भी अंकुश लग सकेगा। हालांकि, अंतिम निर्णय बजट में ही स्पष्ट होगा। तब तक उपभोक्ताओं को धैर्य रखना होगा और बाजार की स्थिति पर नजर रखनी होगी।
सोने और चांदी के खरीदारों के लिए यह एक अच्छा मौका हो सकता है कि वे थोड़ा इंतजार करें और बजट के बाद की स्थिति देखें। यदि कीमतें वाकई गिरती हैं, तो वे बेहतर दरों पर अपनी पसंदीदा धातु खरीद सकेंगे। साथ ही, यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि इससे विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा और अवैध व्यापार पर रोक लगेगी।
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