सरकार का बड़ा फैसला..! पेट्रोल डीजल जीएसटी के अंदर? GST Council Meeting

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GST Council Meeting: 22 जून को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 53वीं बैठक हुई। यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में पहली बैठक थी। पिछली बैठक अक्टूबर 2023 में हुई थी, यानी करीब 8 महीने बाद यह बैठक हुई।

पेट्रोल और डीजल पर चर्चा

बैठक के बाद वित्त मंत्री ने एक महत्वपूर्ण विषय पर बात की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमेशा से चाहती थी कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। अब राज्यों को मिलकर इस पर विचार करना है और इसकी दर तय करनी है।

पूर्व वित्त मंत्री का योगदान

सीतारमण ने बताया कि पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले ही पेट्रोल और डीजल को जीएसटी कानून में शामिल करने का प्रावधान कर दिया था। उनकी मंशा बहुत स्पष्ट थी कि इन ईंधनों को जीएसटी में लाया जाए।

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राज्यों की भूमिका

वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि अब राज्यों को एक साथ आकर इस मुद्दे पर चर्चा करनी है। उन्हें तय करना होगा कि वे किस दर पर सहमत होंगे। यह फैसला जीएसटी काउंसिल में राज्यों की सहमति से ही होगा।

जीएसटी का मूल उद्देश्य

सीतारमण ने याद दिलाया कि जब जीएसटी लागू किया गया था, तब से ही यह इरादा था कि कुछ समय बाद पेट्रोल और डीजल को इसमें शामिल किया जाएगा। अब वह समय आ गया है जब इस पर गंभीरता से विचार किया जाए।

आगे की योजना

वित्त मंत्री ने बताया कि अगली जीएसटी काउंसिल की बैठक अगस्त में होगी। इस बैठक में बाकी मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए एक मंत्रियों का समूह बनाया गया है। यह समूह अगस्त की बैठक में अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।

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यह बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण रही। पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की बात से यह स्पष्ट है कि सरकार कर प्रणाली में बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है। हालांकि, इस फैसले में राज्यों की सहमति बहुत जरूरी है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य इस प्रस्ताव पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं और क्या वे एक समान दर पर सहमत हो पाते हैं। अगस्त की बैठक में इस मुद्दे पर और स्पष्टता आने की उम्मीद है।

इस तरह, जीएसटी काउंसिल की यह बैठक देश की अर्थव्यवस्था और कर प्रणाली के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। पेट्रोल और डीजल जैसे महत्वपूर्ण ईंधनों को जीएसटी में शामिल करने से न केवल कर संग्रह प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि इससे देश भर में इनकी कीमतों में एकरूपता भी आ सकती है।

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