Budget: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आगामी बजट की तैयारियों के सिलसिले में विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इन बैठकों में व्यापार, सेवा और उद्योग जगत के प्रमुख लोगों ने अपने सुझाव और मांगें रखीं।
इंफ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग पर जोर
श्री सीमेंट के चेयरमैन एचएम बांगड़ ने सरकार से इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार के पास धन की कमी नहीं है और हाउसिंग सेक्टर पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। सीमेंट पर 28% जीएसटी और मौजूदा शुल्क दरों से उन्होंने कोई असहमति नहीं जताई।
आईटी सेक्टर की मांगें
नैसकॉम की प्रेसिडेंट देबजानी घोष ने अनुसंधान और विकास, डीपटेक और बौद्धिक संपदा में निवेश बढ़ाने की मांग की। उन्होंने टैक्स में ट्रांसफर प्राइसिंग व्यवस्था को सरल बनाने और सेफ हार्बर प्रोविजन की सीमा बढ़ाने का सुझाव दिया।
निर्यात क्षेत्र की चिंताएं
FIEO के प्रेसिडेंट अश्विनी कुमार ने ब्याज दरों में छूट वाली योजना को तीन साल तक बढ़ाने की मांग की। उन्होंने भारत के लिए एक अपनी शिपिंग लाइन स्थापित करने और मार्केट एक्सेस इनिशिएटिव योजना का बजट बढ़ाने का सुझाव दिया।
पेट्रोकेमिकल उद्योग की समस्याएं
रिलायंस पोलिस्टर के प्रेसिडेंट अजय सरदाना ने चीन से रासायनिक और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की डंपिंग पर रोक लगाने की मांग की। उन्होंने कस्टम ड्यूटी में 2.5 से 5% तक की वृद्धि का सुझाव दिया।
रत्न और आभूषण उद्योग की चुनौतियां
GJEPC के चेयरमैन विपुल शाह ने हीरा क्षेत्र में निर्यात में आई गिरावट पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने विशेष अधिसूचित क्षेत्र (Special Notified Zone) बनाने, 2% इक्वलाइजेशन ड्यूटी में छूट देने और डायमंड इंप्रेस्ड लाइसेंस को पुनः बहाल करने की मांग की।
इन बैठकों से स्पष्ट है कि विभिन्न उद्योग क्षेत्रों की अपनी-अपनी चुनौतियां और आवश्यकताएं हैं। वित्त मंत्री के सामने एक बड़ी चुनौती यह है कि वे इन सभी मांगों के बीच संतुलन बनाते हुए एक ऐसा बजट तैयार करें जो देश की अर्थव्यवस्था को गति दे सके। यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी बजट में इनमें से कितनी मांगों और सुझावों को स्थान मिलता है और कैसे सरकार विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतों को पूरा करने का प्रयास करती है।
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